तिसरी(गिरिडीह)। तिसरी के गांधी मैदान में अनुमंडल स्तरीय बहा सोहराय पर्व कार्यक्रम आदिवासी संथाल समाज सुसार बैसी के तहत हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने आदिवासी महिला पुरुष के साथ ढोल मांदर की थाप व संथाली गीत के साथ खूब झूमे। कार्यक्रम में तिसरी देवरी, गांवा, जमुआ व राजधनवार क्षेत्र से हजारों आदिवासी जाति के लोगों ने भाग लिया।
प्रकृति का पर्व है सोहराय पर्व
मौके पर श्री मरांडी ने कहा कि बहा सोहराय पर्व आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण पर्व है। बहा का मतलब फूल होता है, जब तक बहा पर्व नहीं मनाते तब तक आदिवासी लड़कियां अपनी बाल के खोपा में न ही फूल लगाते हैं और न ही महुआ के फल का सेवन करते हैं। बहा सोहराय का मुख्य उद्देश्य पेड़ पौधे को बचाना व लगाना है, तभी मानव जाति बच सकेंगे। इसलिये पेड़ पौधे को बचाना ही बहा पर्व है। आदिवासी भाई वर्षों से जंगल में पेड़ पौधे की रक्षा करते आ रहे हैं। आदिवासी लोग जहां भी है, बहा सोहराय पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
कई लोग हुए समारोह में शामिल
कार्यक्रम में मुख्य रूप से अर्जुन मरांडी, लालो मुर्मू, बुधन मरांडी मौजूद थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में रामचंद्र मरांडी, बुधन मरांडी, अरविंद मुर्मू, कालेव सोरेन, संतोष मुर्मू, चांद किशोर हांसदा, मतीयस टुडु, सोनू हेम्ब्रोम, राजेश हेम्ब्रोम, नागेश्वर टुडु, गैबरियल मरांडी, बड़का टुडु आदि दर्जनों आदिवासी समाज के लोग का सराहनीय योगदान रहा।
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